धारा 144 क्या है ? धारा 144 कब लागु होती है ? धारा 144 लागु कौन करता है ? धारा 144 के उल्लंघन में सजा क्या होगी ?
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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को " धारा 144 के बारे में बताने जा रहा हु। अक्सर आप सभी टीवी, समाचारपत्र व् मोबाइल में सुनते व् देखते होंगे कि किसी शहर, गावं या राज्य में धारा 144 लागु कर दी गयी है। धारा 144 से जुड़े आपके मन में कई सवाल आ रहे होंगे जैसे कि:-
- धारा 144 क्या है ?
- धारा 144 कब लागु होती है ?
- धारा 144 लागु कौन करता है ?
- धारा 144 के उल्लंघन में सजा क्या होगी ?
क्या है धारा 144 ?
धारा 144 का जिक्र विधि की दो पुस्तकों में किया गया है जो कि:-
- भारतीय दंड संहिता 1860,
- दंड प्रक्रिया संहिता 1973,
इन दोनों विधि की पुस्तकों के अनुसार धारा 144 का उल्लेख इस प्रकार से है जैसे कि :-
1.भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 144 विधिविरुद्ध जमाव पर प्रतिबन्ध लगाती है जहाँ कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह किन्ही घातक हथियारों के साथ विधिविरुद्ध जमाव में शामिल होता है या विधिविरुद्ध जमाव का सदस्य होगा और इनके इन घातक हथियारों के उपयोग से किसी व्यक्ति की मृत्यु होना सम्भव है तो ऐसे विधिविरुद्ध जमाव में सामिल व्यक्ति को 2 साल तक की कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा या जुर्माने से दण्डित किया जायेगा या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
2. दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 हथियारों सहित जलूस या सामूहिक अभ्यास या सामूहिक प्रशिक्षण पर प्रतिबन्ध लगाता है। धारा 144 जिला मजिस्ट्रेट द्वारा लोक शांति या लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था बनाये रखने के लिए लागु की जाती है। लोक सूचना या लोक आदेश द्वारा मजिस्ट्रेट धारा 144 लागु करवाता है जिसमे वह अपनी अधिकारिता वाले स्थानीय सीमाओं के भीतर किसी जलूस में हथियार ले जाने या किसी लोक स्थान में हथियार सहित कोई सामूहिक अभ्यास या सामूहिक प्रशिक्षण व्यवस्थित करने या आयोजित करने या उसमे भाग लेने पर व्यक्तियों पर प्रतिबन्ध लगाता है।
- धारा 144 के तहत जारी लोक सूचना या लुक आदेश किसी विशेष व्यक्ति या किसी समुदाय, दल या संगठन के व्यक्तियों के प्रति सम्बोधित हो सकती है।
- धारा 144 के तहत जारी लोक सूचना या लोक आदेश जारी कीयूए जाने की तिथि से 3 माह से अधिक प्रभावी नहीं रहेगा।
- राज्य सरकार को ऐसा लगता है कि लोक शांति, लोक व्यवस्था या लोक सुरक्षा को बनाये रखने के लिए लोक सूचना या लोक आदेश जो की मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया गया है उसको कुछ अवधि तक और बनाये रखना है तो अधिसूचना द्वारा बढ़ा सकती है और ऐसी अवधि का उल्लेख अधिसूचना में लिखित होगा।
- राज्य सरकार, साधारण या विशेष आदेश द्वारा धारा 144 की अवधि में अवधि बढ़ाने की अपनी शक्तियां जिला मजिस्ट्रेट को ऐसे नियंत्रण और निर्देशों के अधीन रहते हुए जिन्हे अधिरोपित करना ठीक समझे प्रत्यायोजित कर सकती है।
धारा 144 कब लागु होती है ?
- तनावपूर्ण माहौल को काबू करने के लिए,
- लोक शांति, लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था को बनाये रखने के लिए,
- व्यक्ति या व्यक्तियों के विधिविरुद्ध समूह पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए,
- किसी गावं,शहर या राज्य के किसी भी क्षेत्र में अशांति पैदा होने की सम्भावना है जैसे कि दंगा, लूटपाट, आगजनी, हिंसा, मारपीट बल्वा आदि को रोकने के लिए।
धारा 144 कौन लागु करता है ?
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 मजिस्ट्रेट द्वारा लोक सूचना या लोक आदेश अधिसूचना द्वारा जारी कर लागु की जाती है। इस अधिसूचना के जारी होने के बाद उस तनावपूर्ण इलाके में धारा 144 लागु हो जाती है। ताकि वहाँ किसी भी प्रकार की कोई भी अशांति पैदा न हो जो के माहौल को बिगड़ दे।
धारा 144 लागु होने पर किन किन बातो पर प्रतिबंध लग जाता है ?
- घर के बाहर या सड़क पर दो या दो से अधिक व्यक्तियों के इकठ्ठा होने पर प्रतिबन्ध लगा होता है,
- घर से बाहर दो या दो से अधिक व्यत्तियों के समूह के घूमने पर प्रतिबन्ध लगा होता है,
- धारा 144 की अवधि तक उस स्थान के यातायात के साधनो पर प्रतिबन्ध लगा होता है,
- व्यक्तियों द्वारा समूह बना कर आयोजन आयोजित करने पर प्रतिबन्ध लगा होता है,
- व्यक्तियों द्वारा सभा आयोजित कर भाषण या अन्य कार्यक्रमों में पूर्ण रूप प्रतिबन्ध लगा होता है
- अन्य कार्यो पर जिससे यह प्रतीत होता है कि लोक शांति भंग होने की असंका हो उन सभी कार्यो पर प्रतिबन्ध लगा होता है
धारा 144 के अधीन आदेश के उल्लंघन पर सजा क्या होगी ?
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के लागु होने का मुख्य उद्देश्य गावं, शहर या राज्य की किसी भी सीमा में दंगा, बल्वा, मारपीट, आगजनी, अशांति आदि होने की सम्भावना है तो ऐसी अशांति को रोकने के की कोसिस की जाती है।
ऐसे में धरा 144 के लागु होने पर किसी भी व्यक्ति द्वारा लगाए गए किन्ही प्रतिबंधों का उल्लंघन करता है तो दंड प्रक्रिया संहिता की 107 व् धारा 151 के तहत पुलिस उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को बिना वारंट व् बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के गिरफ्तार कर सकती है और 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होता है। दोषी पाए जाने पर 1 साल तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा।
धारा 144 जमानतीय अपराध की श्रेणी में आता है, इसके अधीन गिरफ्तार किये व्यक्ति को थाने से ही जमानत मिल जाती है।
यदि भीड़ जिला मजिस्ट्रेट के आदेशों का उल्लंघन करती है तो क्या होगा ?
- यदि भीड़ द्वारा जला मजिस्ट्रेट के आदेशों का पालन नहीं किया जाता है तो उस भीड़ में शामिल सभी व्यक्तियों पर भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 145 के तहत मुकदमा चलाया जायेगा और दोषियों को 2 साल तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा या जुर्माने से दण्डित किया जायेगा या दोनों दंड से दण्डित किया जायेगा।
- यदि भीड़ विधिविरुद्ध है तो भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 149 के तहत उस भीड़ में शामिल सभी व्यक्तियों को दण्डित किया जायेगा।
- उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह पर मुकदमा चलाने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है।
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