www.lawyerguruji.com जानिए भारतीय कानून और अपने अधिकारों को जिन्हे आपको मालूम होना चाहिये
नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को भारतीय कानून के तहत उन कानून और अधिकारों के बारे में बताने जा रहा हु जिनके बारे में हर एक भारतीय को मालूम होना चाहिए। एक तो अगर आपको इन कानून के बारे में जानकारी होगी तो आप दुसरो को भी इसकी जानकारी देंगे जिसके कारण न तो स्वयं अपराध करेंगे और न ही वह व्यक्ति करेगा जिसको इन कानून जानकारी होगी।
तो चलिए विस्तार से जाने उन कानून और अधियकरों के बारे में:-
भारतीय कानून और आपके अधिकार।
1. हिन्दू विवाह अधिनियम 1955
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक के वे आधार बताये गए है जिन आधारों पर पति या पत्नी एक दूसरे से तलाक से लेकर अलग हो सकते है। तलाक लेने के लिए जब पति या पत्नी द्वारा न्यायालय में मुकदमा दायर किया जाता है तो उन आधारों को बताना होगा जिनके आधार पर वे एक दूसरे से तलाक लेना चाह रहे है :- अधिनियम के तहत तलाक के निम्न आधार हो सकते है :-
- व्यभिचार विवाह के बाद किसी अन्य महिला या पुरुष का किसी अन्य महिला या पुरुष से शारीरक सम्बन्ध बनाना।
- पति या पत्नी में किसी का घर छोड़ कर भाग जाना और 7 वर्ष तक उसका कोई अता पता न होना।
- मानसिक स्थ्तित या शारीरक अक्षमता या दोनों रूप से बीमार होने पर।
- घेरलू हिंसा की हुई शिकार महिला।
- पति के नपुंशक होने की स्थति में या महिला के पुत्र न होने की स्थति में।
2. मोटर वाहन अधिनियम 1988-
1. मोटर वाहन अधिनियम की धारा 128 के तहत दो पहिया वाहन पर केवल दो व्यक्तियों के बैठने का प्रावधान है।
2. मोटर वाहन अधिनियम धारा 129 के तहत दो पहिया वाहन चलाते समय हेलमेट का पहनना व् चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है।
3. मोटर वाहन अधिनियम की धारा 185 व् धारा 202 के तहत यदि कोई भी व्यक्ति नशे की हालत में वाहन चलाता है और पुलिस द्वारा चेकिंग के दौरान पकडे जाने पर यदि उस व्यक्ति के 100ml खून में अलकोहल का लेवल 30mg से अधिक पाया जाता है तो मौके पर मौजूद पुलिस द्वारा उस व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
3. भारतीय दंड संहिता 1860
भारतीय दंड संहिता की धारा 166 A के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति पुलिस थाने में किसी दंडनीय संज्ञेय अपराध के समबन्ध में जानकारी देकर उस अपराध के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने जाता है और वहाँ के थाना प्रभारी के द्वारा उस अपराध के आधार पर रिपोर्ट नहीं लिखी जाती है, तो ऐसे में उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ लिखित में एक शिकायत एस० पी० कार्यालय में दे सकते है। यदि वह पुलिस अधिकारी दोषी पाया जाता है तो कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा जिसकी अवधि 6 महीने से कम नहीं होगी लेकिन जो 2 साल तक कारावास तक की सजा से उसे दण्डित किया जायेगा।
4. दंड प्रक्रिया संहिता 1973
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 46 की उपधारा 1 के तहत यदि कोई अपराध किसी महिला के द्वारा किया जाता है वहाँ उस स्त्री की गिरफ़्तारी किसी महिला पुलिस अधिकारी द्वारा की जाएगी और उपधारा 4 के तहत असाधारण परिस्थियों के अलावा कोई महिला सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं की जाएगी। यहाँ सूर्यास्त से मतलब शाम 6 बजे के बाद से है और सूर्योदय से मतलब सुबह 6 बजे से है।
यदि अपराध अधिक गंभीर प्रकृति का है जहाँ गिरफ़्तारी आवश्यक है वहाँ महिला पुलिस अधिकारी लिखित रिपोर्ट करके प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट से पहले अनुमति लेगी जिसकी स्थानीय अधिकारिता के भीतर अपराध किया गया है।
5. पुलिस अधिनियम 1861
पुलिस अधिनियम के तहत पुलिस की ड्यूटी और उनके अधिकारों के बारे में बताया गया है जिसके अंतर्गत पुलिस अधिकारी सदैव अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते है चाहे उसने अपनी वर्दी पहनी हो या न पहनी हो। यदि कोई व्यक्ति पुलिस अधिकारी से किसी अपराध के सम्बन्ध में शिकायत करता है या अन्य सहायता मांगता है तो पुलिस अधिकारी यह नहीं कह सकता कि वह अभी ड्यूटी पर नहीं है।
6. मातृत्व लाभ अधिनियम 1961
मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत किसी भी कंपनी द्वारा किसी भी गर्भवती महिला कर्मचारी को उसकी नौकरी से नहीं हटाया जा सकता और न उसको मातृत्व लाभ से वंचित किया जायेगा। यदि ऐसा किसी भी कंपनी के द्वारा करता या किया हुआ पाया जाता है तो दोषी पायी जाने वाली कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी जिसके अंतर्गत 3 साल तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा।
7. इनकम टैक्स अधिनियम 1961
इनकम टैक्स अधिनियम के तहत यदि कोई व्यक्ति इनकम टैक्स के नियमों का उल्लंघन करता है या किया जाता है तो ऐसे में इनकम टैक्स रिकवरी अधिकारी को यह पूर्ण अधिकार प्राप्त है कि वह उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है , लेकिन गिरफ्तार करने से पहले इनकम टैक्स के नियमो का उलंघन करने वाले व्यक्ति को एक लिखित नोटिस भेजनी होगी। हिरासत में कितनी अवधि तक रहना है या नहीं इसका निर्धारण केवल टैक्स कमिश्नर ही कर सकता है।
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